एकादशी क्यों रखना चाहिए और क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

एकादशी क्यों रखना चाहिए और क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

उपवास का अर्थ हैं

उप मतलब “पास” वास मतलब “रहना” भगवान के पास रहना। एकादशी वाले दिन केवल भगवान का दिन होना चाहिए। कोई ऑफिस नहीं, हो सके तो छुट्टी ले ले। भगवान का संग करना चाहिए और सुबह शाम भजन करे।

भक्ति विनोद ठाकुर कहते है की माधव तिथि भक्ति जननी हैं अर्ताथ ये भक्ति देनी वाली तिथि है। एकादशी वाले दिन हम भगवान को प्रसन्न भगवान को प्राप्त कर सकते हैं।

उध्यापन वो लोग करते हैं जो इच्छा की पूर्ति की बाद व्रत समाप्त कर देते हैं। पर व्रत हमें सदा ही करते रहना चाहिए खासकर एकादशी का तो करना ही चाहिए।

एक बार जेमिनी ऋषि ने अपने गुरु वेद व्यास जी से पूछा की एकादशी का व्रत क्यों रखना चाहिए तब उन्होंने कहा की अगर हम शिवरात्रि का व्रत रखते है तो पुण्य मिलता है, पाप का फल नहीं, नवरात्रे का भी पुण्य मिलता है पाप नहीं, केवल एकादशी का व्रत ऐसा है जिससे करने से पुण्य मिलता है और ना करने पर पाप का फल। जेमिनी ऋषि ने पूछा ऐसा क्यों ? तब उन्होंने ये कथा सुनाई।

भगवान ने जब सृष्टि की रचना की, स्वर्ग नरक बनाये तब नरक के स्वामी यमराज को बनाया और उनके नीचे पाप पुरुष को बनाया उनकी सेवा थी की जो पाप करे उन्हें दंड देना। जब भगवान ने एकादशी को वरदान दिया की जो भी एकादशी व्रत का पालन करेगा उसके सभी पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जायेंगे।

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तब पाप पुरुष ने भगवान से कहा “हे प्रभु यदि कोई पाप ही नहीं करेगा तो मैं किसे दंड दूंगा तब तो मेरी कोई सेवा ही नहीं रहेगी कृपा करके आप मेरे अस्तित्व को समाप्त करदे अन्यथा मुझे भी एकादशी वाले दिन कही स्थान दे तब भगवान ने पाप पुरुष को यह वरदान दिया की तुम एकादशी वाले दिन अन्न में प्रवेश करोगे,

जो भी इस दिन अन्न खायेगा उसने जो पाप नहीं भी किये होंगे वो पाप भी उससे लगेंगे जैसे की ब्राह्मण हत्या, गौ हत्या, भूर्ण हत्या आदि । एक साल में 24 एकादशी आते हैं और हमें सरे व्रत का पालन करना चाहिए।

मानलो गलती से यह व्रत टूट जाये तो उसी पल से हमें ये व्रत करना चाहिए द्वादशी वाले दिन तक और त्रियोदशी वाले दिन पारण करना चाहिए। अपनी भूल को केवल भक्तों के माध्यम से ही प्रायश्चित कर सकते हैं। उनकी सेवा करके, ज़्यादा से ज़्यादा माला करके (भगवान का नाम जप करके)।

क्या नहीं करना चाहिए।

  • दिन में सोना नहीं चाहिए
  • बार -बार दूध- पानी नहीं पीना चाहिए
  • सुपारी पान नहीं चबाना चाहिए
  • महाप्रसाद नहीं लेना चाहिए अगले दिन प्रसाद पा सकते है
  • प्रजल्पा नहीं करना चाहिए मतलब फालतू के गप्पे
  • टीवी, न्यूज़ नहीं देखना चाहिए
  • कोई रिश्तेदार के पास न जाये अगर शादी वाले दिन जाये तो केवल फल खा सकते हैं
  • क्रोध नहीं करना चाहिए

वर्जित प्रदार्थ 

मसाले – जीरा, हींग ,हल्दी, मेथी, सरसों के बीज, ईमली, सौंफ, अजवाइन, खसखस , कलौंजी, इलायची, लौंग, काला नमक
वर्जित सब्जी -टमाटर, बैंगन, फूल गोभी, शिमला मिर्च, ब्रॉकोलिस, मटर, चने, करेला, लौकी, परमल, तोरी, भिंडी, केले के फूल, पालक , पत्ता गोभी, धनिया, पुदीना, पापड, सोया, दलीय, चावल, मक्का, सभी प्रकार की दालें, बेकिंग पाउडर, मूंग फली, आलू के चिप्स, पुडिंग, क्रीम, चीज़, चाय, कॉफ़ी

मिष्ठान बाहर के बानी हुई नहीं खानी चाहिए
सरसो का तेल, तिल के तेल

एकादशी वाले दिन क्या खाना चाहिए।

सभी प्रकार के फल, ड्राई फ्रूट्स, ड्राई फ्रूट्स ऑइल, आलू, सीता फल, खीरा, हरा पपीता, कटहल, मखाना, नारियल, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा,
वाइट शुगर , ब्राउन शुगर , दूध, दही, काली मिर्च, सेंधा नमक, घी।

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द्वादशी दिन में पारण के समय का इंतज़ार करना चाहिए। पारण के समय पर ही प्रसाद लेना चाहिए। जो पारण के समय पर प्रसाद ग्रहण नहीं करता तो उसका व्रत खराब हो जाता है।

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