मोक्षदा एकादशी व्रत कथा 

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा 

कृष्ण भगवान युधिष्ठर महाराज को कथा बता रहे हैं। एक बहुत सुन्दर नगर हुआ करता था जिसका नाम चम्पक नगर था। यह शहर पुष्प और वैष्णव भक्तों से सजा हुआ था और इस नगर के राजा का नाम था वैखानयस। यह राजा अपनी प्रजा को पुत्र और पुत्री की तरह ख्याल रखते थे। यह बताया जाता है की इस नगर के ब्राह्मण भी 4 वेदों के ज्ञाता थे। 

एक दिन राजा विश्राम कर रहे थे और उन्हें एक सपना आता है। वह सपने में देखते है की उनके पिता नरक में सड़ रहे है। और उन्हें यातनायें दी जा रही है। उन्हें नरक में बहुत ही पीड़ा और कष्ट झेलने पड़ रहे है। उनकी सपने से आँख खुलने के बाद वह काफी विचलित हो जाते है। उनसे रहा नहीं जाता तो वह ब्राह्मण के पास इसका समाधान पूछने जाते है। वह विस्तार से उन्हें अपने पिता के बारे में बताते है की किस प्रकार उनके पिता नरक में कष्ट भोग रहे है।

तब ब्राह्मण उन्हें बताते है की नगर के पास पर्वत पर एक मुनि है जिनका नाम पर्वत मुनि है उन्हें भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान है। आप उनके पास जाये। तत्पश्चात राजा उन मुनि से भेट करने निकल पड़ते है। 

जब राजा पर्वत पर मुनि के आश्रम पॅहुचते है तो वह का वातावरण बहुत ही सुन्दर और शांत था। राजा ने उन्हें दंडवत प्रणाम किया। तब पर्वत मुनि ने राजा से उनके आने का कारण पूछा तो राजा ने कहा मैंने सपने में अपने पिता को बहुत ही असहनीय दर्द में देखा और वो मुझे पुकार रहे थे “हे पुत्र इस कष्ट से मेरी रक्षा करो “, जब से मैंने यह सपना देखा है तब से मुझे शान्ति नहीं है मेरे पास सब कुछ है धन, महल, बीवी, बच्चे और प्रजा। फिर भी मेरा मन बहुत अशांत है।

कृपा करके मुझे कोई समाधान बतायें जिससे में अपने पिता की सहायता कर सकूँ। मुझे क्या दान, व्रत, तपस्या करने चाहिए जिससे मेरे पिता को कष्ट से मुक्ति मिल सके। 

इस पर मुनि उस राजा का भूत, भविष्य और वर्तमान देखते है और उन्हें बताते है की तुम्हारे पिता ने बहुत ही घोर पाप किये थे। उन्होंने अपनी पत्नी से झगड़ा किया और झगड़ा करने के बाद जबरदस्ती सम्भोग किया और वह भी उन दिनों में जब उनके माहवारी के दिन चल रहे थे। वह बहुत रो रही थी और सहायता के लिए पुकार रही थी कृपा करके इन दिनों में मुझे परेशान न करे। उन्हें अकेला छोड़ दे। इस पाप के कारण तुम्हारे पिता को नरक में अनेक प्रकार से यातनायें मिल हैं। ।

mokshda ekadashi vrat katha

और इसका समाधान है की तुम मार्गशीष के महीने में शुक्ल पक्ष में मोक्षदा एकादशी का ध्यान पूर्वक पालन करो और इसके फल को अपने पिता को अर्पित कर दो। इससे तुम्हारे पिता के सभी दुःख दर्द दूर होंगे और उन्हें मुक्ति मिलेगी। यह सुनकर राजा मुनि को प्रणाम करके अपने नगर को प्रस्थान करते है। और मार्गशीष महीने में मोक्षदा एकादशी का इंतज़ार करने लगते है। 

फिर आता है मोक्षदा एकादशी उस दिन राजा ने पूरी श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत का पालन किया और इसके फल को पिता को अर्पित किया। ऐसा करते ही देवलोक से देवता उनके पिता पर फूलों की वर्षा करते है और उन्हें नरक से देवलोक ले जाते है। वहाँ राजा के पिता अच्छे से भक्ति का पालन करते है और फिर उन्हें गोलोक वृन्दावन ले जाया जाता है। 

कृष्णा भगवान स्वाम कह रहे है की इस व्रत से बड़ा और कोई व्रत नहीं और इस दिन से बड़ा और कोई दिन नहीं। इस एकादशी का हमें सख्ती से पालन करना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार मोक्षदा एकादशी बाकी के 23 एकादशी के बराबर का फल देने वाली है और जो भी भक्त इस एकादशी का पालन करते है उनके पितृ चाहे किसी भी नरक में सड़ क्यों न रहे हो उन्हें भगवान के धाम जाने का अवसर प्राप्त होता है। 

एकादशी का मतलब सिर्फ fasting for body नहीं है और यह feasting for soul भी है। और इस आत्मा की खुराक है हरे कृष्णा महामंत्र का जाप और आज के ही दिन भगवान ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश भी दिया था। इसलिए आज के दिन भगवद गीता जरूर पढ़े और इसका प्रचार करे। 

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आप सभी को मोक्षदा एकादशी की हार्दिक बधाई।
हरे कृष्णा !

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