कौनसी एकादशी व्रत करनी चाहिए ?
आज हम पुराणों के माध्यम से जानेगें की कौनसी एकादशी रखना सही है। ऐसा होता है दसवीं तिथि के बाद ग्यारहवीं तिथि आती है उसे एकादशी कहते हैं। महीने में दो एकादशी आती हैं। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष और ये दोनों व्रत करना अनिवार्य है। तो कौनसी एकादशी करे ? जब दसवीं तिथि एकादशी के साथ मिश्रण हो जाये तो वह खंडित एकादशी कहलाती हैं। जो एकादशी द्वादशी के साथ मिश्रण होता हैं उस एकादशी को पूर्ण एकादशी कहते हैं और इससे ही रखना चाहिए। इसको शास्त्रों में पूर्व वृद्धा और परि वृद्धा कहा गया है।
पूर्व वृद्धा और परि वृद्धा को सूर सिद्धान्त से समझना चाहिए। सूर सिद्धान्त क्या हैं ? यानी की दशमी तिथि एकादशी के साथ जब मिल रही होती है पता चलता है की सूर्य उदय के बाद भी दशमी तिथि चल रही है और एकादशी सूर्य उदय के बाद शुरू हो रही है। और एकादशी चलते चलते द्वादशी जिस दिन आती है उसके सूर्य उदय से पहले ही एकादशी चल रही होती है इसलिए उसे परि वृद्धा एकादशी कहते है। तो सूर सिद्धान्त के हिसाब से हमें दसवीं और ग्यारहवीं मिश्रण वाले दिन व्रत नहीं रखनी हैं। हमें ग्यारहवें और द्वादशी मिश्रण वाले दिन यानि द्वादशी वाले दिन व्रत करना चाहिए।
स्कंद पुराण में इसका प्रमाण है।
जब दसमी में एकादशी का मिश्रण होती है तब असुर मनोवृत्ति (Demonic mentality) को बढ़ावा देती है। बहुत लोग केलिन्डर में ग्याहरवे दिन को एकादशी का व्रत करते है पर उससे पहले सूर्य उदय को चेक करना है। इसको लेकर लोगों में बहुत भ्रम होता है। मतलब व्रत करने पर भी असुरी मनोवृत्ति बढ़ती हैं। इसलिए हमें सूर सिद्धांत और पुराणों का पालन करना हैं। जिस व्रत को करने से हमें इतना भगवान की भक्ति करने का फल मिलता है , इतने हज़ारों पुण्य प्राप्त होते है वह व्रत सही रूप से करना चाहिए।
अगर हम सही रूप से ग्यारहवीं और दसवीं मिश्रण व्रत करेंगे तो हमें भगवान की भक्ति प्राप्त होगी। हम व्रत इसलिए ही रखते है ताकि भगवान प्रसन्न हो तो जरुरी है की हम भगवान् की बनायीं गयी guideline को फॉलो करे ऐसे ही अपने मन से कभी भी व्रत रखो, कुछ भी खाओ, कभी भी उठो। नहीं ये गलत हैं। व्रत का सही से पालन करें। पुराणों के आधार पर व्रत को करें। एकादशी का व्रत सोच समझ कर करना चाहिए।
अगर आपने दशमी एकादशी मिश्रत है वो अपने रखी जिस दिन व्रत रखना था उस दिन पारण कर लिया तो सब गड़बड़ है। इसलिए व्रत द्वादशी और पारण त्रियोदशी को किया जायेगा। जब मिश्रण एकादशी और द्वादशी को हो। जब सूर्य उदय होने से पहले तिथि लग रही हो उसे ही सम्पूर्ण एकादशी कहते है अगर अपने सूर्य उदय से पहले जो तिथि लग रही है उसके अलावा अगर आपने अभी ऐसे व्रत रख लिया की सूर्य उदय हो गया है और तिथि बाद में लग रही है तो उसे खंडित एकादशी कहते हैं। ऐसे व्रत को करने से कोई फल प्राप्त नहीं होता बल्कि असुरी मनोवृत्ति का प्रकोप होता है।
एकादशी क्यों रखना चाहिए और क्या खाना चाहिए और क्या नहीं कृपा करके इस लिंक पर क्लिक करे।