दामोदर अष्टकम

दामोदर अष्टकम में कृष्ण लीला का वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु का सबसे प्रिय माह कार्तिक है। इस माह में हर व्यक्ति को खूब भजन और नाम जपना चाहिए। क्योंकि इस माह में किया गया पूजा-पाठ से दौ गुना फल प्रदान होता है। कार्तिके मास के दौरान दामोदर अष्टकम का पाठ करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही हर रोज़ तुलसी जी के समक्ष दीप दान भी जरूर करना चाहिए।

दामोदर अष्टकम (Damodar Ashtakam)

(1)

नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम्‌
यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या॥

वह भगवान् जिनका रूप सत्-चित-आनंद है, जिनके मकर कुंडल हिल रहे हैं, जो गोकुल धाम में नित्य शोभायमान हैं, जो मैय्या यशोदा से डरकर ओखली से कूदकर तेजीसे दौड़ रहे हैं और यशोदा मैय्या उनसे भी तेज दौड़कर पीछे से पकड़ रही हैं, ऐसे श्री भगवान् को मैं नमन करता हूँ।।1।।

(2)

रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तं कराम्भोज-युग्मेन सातङ्कनेत्रम्।
मुहुःश्वास कम्प-त्रिरेखाङ्ककण्ठ स्थित ग्रैव-दामोदरं भक्तिबद्धम्॥

वे रो रहे हैं और अपने कमल जैसे कोमल हाथों से दोनों नेत्रों को मसल रहे हैं, उनकी आँखे भय से भरी हुई हैं और उनके त्रिरेखा से युक्त शंख जैसे गले का मोतियों का हार, सिसकियाँ लेने के कारण हिल-डुल रहा हैं, ऐसे उन श्री भगवान् को जो रस्सी से नहीं बल्कि अपने माता के प्रेम से बंधे हुए, हैं मैं नमन करता हूँ।

(3)

इतीद्दक्‌स्वलीलाभिरानंद कुण्डे स्वघोषं निमज्जन्तमाख्यापयन्तम्।
तदीयेशितज्ञेषु भक्तैर्जितत्वं पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे॥

अपनी बाल लीलाओं से वे गोकुल-वासिओं को दिव्य आनंद कुंड में निमग्न कर रहे हैं, और जो ज्ञानियों को बतला रहे हैं कि “मैं अपने प्रेमी भक्तों द्वारा जीत लिया गया हूँ”, उन दामोदर भगवान् को मैं शत शत नमन करता हूँ।।

(4)

वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह।
इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं सदा मे मनस्याविरस्तां किमन्यैः?॥

हे भगवन, आप सभी प्रकार के वर देने में सक्षम हैं फ़िर भी मैं आप से न ही मोक्ष की कामना करता हूँ, न ही वैकुंठ की, और न ही किसी और वरदान की। मैं केवल यही प्रार्थना करता हूँ कि आपका बाल गोपाल स्वरुप सदा मेरे मन में स्थित रहे। अन्य किसी वस्तु का मुझे क्या कामना ?

(5)

इदं ते मुखाम्भोजमत्यन्तनीलै- र्वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गौप्या।
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे मनस्याविरस्तामलं लक्षलाभैः॥

हे प्रभु, आपका श्याम रंग का मुखकमल जो कुछ घुंघराले लाल बालो से आच्छादित हैं, मैय्या यशोदा द्वारा बार बार चुम्बन किया जा रहा हैं, और आपके ओठ बिम्बफल जैसे लाल हैं, आपका ये अत्यंत सुन्दर कमलरुपी मुख मेरे हृदय में विराजीत रहे। (इससे अन्य) सहस्त्रों वरदानों का मुझे कोई उपयोग नहीं है।

(6)

नमो देव दामोदरानन्त विष्णो! प्रसीद प्रभो! दुःख जालाब्धिमग्नम्।
कृपाद्दष्टि-वृष्टयातिदीनं बतानु गृहाणेश मामज्ञमेध्यक्षिदृश्यः॥

हे प्रभु, मेरा आपको नमन है। हे दामोदर, हे अनंत, हे विष्णु, आप मुझपर प्रसन्न होवे (क्योंकि) मैं संसाररूपी दुःख के सागर में डूबा जा रहा हूँ। मुझ दीन हीन पर आप अपनी कृपा दृष्टि बसाईये और अपनी अमृतमय दृष्टि से मेरी रक्षा कीजिए और उद्धार कीजिए।

(7)

कुबेरात्मजौ बद्धमूर्त्यैव यद्वत्‌ त्वया मोचितौ भक्तिभाजौकृतौ च।
तथा प्रेमभक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ न मोक्षे गृहो मेऽस्ति दामोदरेह॥

हे दामोदर, आपने माता यशोदा द्वारा ओखल में बंधने के बाद भी कुबेर के पुत्रो (मणिग्रिव तथा नलकुवर) वृक्ष बनकर खड़े रहने के श्राप से मुक्त किया और उन्हें अपनी भक्ति का वरदान दिया। आप उसी प्रकार से मुझे भी प्रेमभक्ति प्रदान कीजिए। मोक्ष के लिए भी मेरी कोई कामना नहीं है।

(8)

नमस्तेऽस्तु दाम्ने स्फुरद्दीप्तिधाम्ने त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने।
नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै नमोऽनन्त लीलाय देवाय तुभ्यम्॥

हे दामोदर, आपके उदर से बंधी महान रस्सी को प्रणाम हैं, और आपके उदर, जो निखिल ब्रह्म तेज का आश्रय है, और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का धाम है, को भी प्रणाम हैं। श्रीमती राधिका जो आपको अत्यंत प्रिय हैं उन्हें भी प्रणाम है, और हे अनंत लीलाएँ करने वाले भगवन, आपको प्रणाम है।

 

 

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